कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
ये दिल न होता ये खयाल न होता
न इश्क़ होता न खोने का मलाल होता
न मौत होती न जीने का सवाल होता
बस उनका चेहरा और मेरी निगाहें
उनकी मुस्कुराहट होती और मेरी आहें
वो अपनी हसीन जुल्फों को सहलाते
हम आशिक़ी की खातिर न अपना दिल जलाते
बस उनकी यादों से ही अपना मन बहलाते
कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
अब उनकी एक हसी में अपनी ज़िंदगी गुजर जाएँ
और गर नई ज़िंदगी हो तो फिर यही किरदार निभाएँ
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